The best Side of apsara sadhna

कुछ साधकों को बीच में ही साधना सफल हो गई मानकर उन्होंने साधना को छोड़ दिया, लेकिन अप्सराएँ परीक्षाओं का आयोजन करती रहती हैं।

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Reply GRB April 27, 2021 Before beginning a sadhana, a sadhak really should always beware of the opposite results arising out of error inside the sadhana which commonly usually takes spot.

साधना के लिए एकांतिक स्थान का चयन करते समय आसन की विशेष ध्यान देना चाहिए।

इन दुष्परिणामों का सामना करने के लिए, व्यक्ति को समझदारी से साधना का अभ्यास करना चाहिए और आध्यात्मिक गुरु या आध्यात्मिक संस्थान की मार्गदर्शन में रहना चाहिए। अप्सरा साधना को समझने और इसके प्रभावों का सही अनुमान लगाने के लिए, समर्थन और संबंधित जानकारी की आवश्यकता होती है।

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पूजा और उपासना: साधक को अप्सरा साधना में पूजा और उपासना का भी ध्यान रखना चाहिए। इसके माध्यम से साधक अप्सरा देवियों को प्रसन्न करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।

गुरु की शरण में आवेश: सबसे पहले, साधक को अप्सरा साधना को सिद्ध करने के click here लिए एक प्रमुख गुरु की शरण में आना चाहिए। गुरु के मार्गदर्शन में साधक अप्सरा साधना के उपायों और तकनीकों को सीखता है।

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कहा जाता है कि जब तक अप्सराएँ वचन नहीं देती, तब तक उनकी बातों पर विश्वास न करें।

आनंद और भोग: अप्सरा साधना साधक को आनंद और भोग का अनुभव कराती है। यह साधना उसे जीवन की सुख सम्पत्ति के साथ-साथ आत्मा की ऊर्जा और आनंद की अद्वितीयता का अनुभव कराती है।

अप्सरा साधना एक प्राचीन आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें साधक अप्सरा देवियों के संग एकाग्रता और आध्यात्मिक सिद्धि की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील होता है। इस साधना में साधकों को अप्सरा देवियों के माध्यम से सुंदरता, भोग, विवेक, और आनंद के साथ-साथ आत्मविकास और आध्यात्मिक उत्थान की साधना की जाती है। यह साधना आत्मज्ञान, आत्म-विकास, और आत्म-संयम में सहायक होती है और साधक को आत्मिक शक्तियों का अनुभव कराती है।

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